जनसंख्यावादी अल्पसंख्यक।
जिस मुस्लिम जनसंख्यावादी वृक्ष से हम जूझ रहे हैं, पाकिस्तान ने उस वृक्ष को पनपने ही नही दिया......
1947 में भारत का विभाजन हुआ, और पाकिस्तानी सरकार ने हिंदु, ईसाई और सिक्खों का वोटिंग अधिकार समाप्त कर दिया, ताकि भविष्य में कोई भी राजनीतिक दल उनके वोटों के लालच में न पड जाऐं। इसके ठीक विपरीत हमारे देश में मुस्लिम वोटिंग अधिकार जारी रहा, और नतीजा हमारे सामने है ।
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सिर्फ वोटों के लालच में 100 में से 75 हिंदु नेता, मुसलमानों के तलवे चाट रहे हैं।
आज मुस्लिम वोट अधिकार समाप्त हो जाने दो, कल यही लालू, ममता, और केजरीवाल कट्टर हिंदु बन जाएंगें ।
वर्ना जिस हिसाब से मुस्लिम जनसंख्या बढ़ रही है, वो दिन दूर नही जब भारत के राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय गीत को बदलने की मांग उठना शुरू हो जाऐगी ।
या तो मुस्लिम वोटिंग अधिकार समाप्त करो या फिर मुस्लिम जनसंख्या पर रोक लगाओ, वर्ना यह छोटी छोटी गलतियां -सदियों की सजा बन जाऐंगी ।
लेकिन पाकिस्तानियों की नाजायज़ ओलादों के भारत में रहते हुए क्या ये संभव हो पायेगा ??
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बीजेपी ने 2 लाख मुसलमान लड़कों को ‘गायब’ कराया!
देश में मुसलमान कितने खतरे में हैं इसकी एक और बड़ी मिसाल सामने आई है। उत्तराखंड में मदरसे में पढ़ने वाले करीब 2 लाख मुसलमान लड़के रातों-रात गायब हो गए! इस घटना के पीछे उत्तराखंड की बीजेपी सरकार का हाथ माना जा रहा है। दरअसल ये वो छात्र हैं जो हर महीने सरकार से वजीफा यानी स्कॉलरशिप पा रहे थे। लेकिन जैसे ही उत्तराखंड सरकार ने उन्हें अपने बैंक खातों को आधार नंबर से लिंक करने को कहा एक साथ 1 लाख 95 हजार 360 बच्चे गायब हो गए। अभी तक इन छात्रों को सरकारें हर साल करीब साढ़े 14 करोड़ रुपये छात्रवृत्ति बांट रही थीं। लेकिन अब ये सिर्फ 2 करोड़ रुपये रह गई है। ये अकेले उत्तराखंड का मामला है। अब आप खुद ही समझ सकते हैं कि जब उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में मदरसों को अपना रजिस्ट्रेशन करवाने को कहा तो क्यों इतना हंगामा खड़ा कर दिया गया।
तो इसलिए असुरक्षित हैं मुसलमान?
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बीजेपी की सरकार आने के बाद से मुसलमान खुद को क्यों असुरक्षित महसूस कर रहे हैं इस बात से साबित हो गया है। क्योंकि 2014-15 तक 2 लाख 21 हजार 800 मुसलमान छात्र सरकारी स्कॉलरशिप पा रहे थे। आधार से लिंक होते ही इनकी संख्या गिरकर 26 हजार 440 हो गई है। यानी एक साथ करीब 88 फीसदी मुसलमान छात्रों की संख्या कम हो गई। ये वो स्कॉलरशिप है जो बीपीएल परिवारों के छात्रों को दी जाती है। जिन छात्रों के पास आधार नहीं हैं, उन्हें भी स्कॉलरशिप का फायदा मिल रहा है, लेकिन उन्हें इसके लिए जिलाधिकारी से सत्यापन करवाना जरूरी है। फिलहाल जिला प्रशासन को इस घोटाले के दोषियों की लिस्ट तैयार करने और उन पर कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं।
अल्पसंख्यक कोटे के नाम पर धांधली
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यह बात भी सामने आई है कि कई मदरसे और स्कूल सिर्फ कागजों पर चल रहे हैं और वो फर्जी छात्रों के नाम भेजकर आराम से सरकारी फंड हासिल कर रहे थे। उत्तराखंड के 13 जिलों में से 6 में तो एक भी मुसलमान छात्र स्कॉलरशिप लेने नहीं आया। सबसे ज्यादा धांधली हरिद्वार जिले में पकड़ी गई है। इसके बाद ऊधमसिंहनगर, देहरादून और नैनीताल जिलों के नंबर आते हैं। कुछ जिलों में अब तक जितने अल्पसंख्यक छात्रों को स्कॉलरशिप दी जा रही थी उतनी तो उनकी वहां आबादी भी नहीं है। अब तक कांग्रेस के दौर में तुष्टीकरण की राजनीति के तहत बिना जांच पड़ताल के ये काम चल रहा था। जाहिर है बीजेपी सरकार आने के बाद इस घोटाले पर नकेल कसनी शुरू कर दी गई।
यूपी में भी इसीलिए है सारी दिक्कत
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यूपी में भी इसी तरह की गड़बड़ियों को देखते हुए मदरसों का रजिस्ट्रेशन जरूरी कर दिया गया है। राज्य में कई मदरसे बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे हैं। और इन मदरसों को फंड कहां से मिल रहा है इसकी भी कोई जानकारी नहीं होती। इन मदरसों में क्या पढ़ाया जा रहा है, इस पर भी सरकार का कोई नियंत्रण नहीं होताष जबकि ये अपने छात्रों को अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं के तहत तमाम फायदे पहुंचाते रहते हैं। यूपी सरकार राज्य में करीब 800 मदरसों पर हर साल 400 करोड़ के करीब खर्च करती है। जब इन मदरसों का रजिस्ट्रेशन होगा तो सही तस्वीर सामने आ पाएगी कि कितना पैसा वाकई गरीब छात्रों के पास पहुंच रहा है और कितना उन लोगों की जेब में जा रहा है, जिन्हें लेकर हामिद अंसारी जैसे लोग परेशान रहते हैं।
1947 में भारत का विभाजन हुआ, और पाकिस्तानी सरकार ने हिंदु, ईसाई और सिक्खों का वोटिंग अधिकार समाप्त कर दिया, ताकि भविष्य में कोई भी राजनीतिक दल उनके वोटों के लालच में न पड जाऐं। इसके ठीक विपरीत हमारे देश में मुस्लिम वोटिंग अधिकार जारी रहा, और नतीजा हमारे सामने है ।
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सिर्फ वोटों के लालच में 100 में से 75 हिंदु नेता, मुसलमानों के तलवे चाट रहे हैं।
आज मुस्लिम वोट अधिकार समाप्त हो जाने दो, कल यही लालू, ममता, और केजरीवाल कट्टर हिंदु बन जाएंगें ।
वर्ना जिस हिसाब से मुस्लिम जनसंख्या बढ़ रही है, वो दिन दूर नही जब भारत के राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय गीत को बदलने की मांग उठना शुरू हो जाऐगी ।
या तो मुस्लिम वोटिंग अधिकार समाप्त करो या फिर मुस्लिम जनसंख्या पर रोक लगाओ, वर्ना यह छोटी छोटी गलतियां -सदियों की सजा बन जाऐंगी ।
लेकिन पाकिस्तानियों की नाजायज़ ओलादों के भारत में रहते हुए क्या ये संभव हो पायेगा ??
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बीजेपी ने 2 लाख मुसलमान लड़कों को ‘गायब’ कराया!
देश में मुसलमान कितने खतरे में हैं इसकी एक और बड़ी मिसाल सामने आई है। उत्तराखंड में मदरसे में पढ़ने वाले करीब 2 लाख मुसलमान लड़के रातों-रात गायब हो गए! इस घटना के पीछे उत्तराखंड की बीजेपी सरकार का हाथ माना जा रहा है। दरअसल ये वो छात्र हैं जो हर महीने सरकार से वजीफा यानी स्कॉलरशिप पा रहे थे। लेकिन जैसे ही उत्तराखंड सरकार ने उन्हें अपने बैंक खातों को आधार नंबर से लिंक करने को कहा एक साथ 1 लाख 95 हजार 360 बच्चे गायब हो गए। अभी तक इन छात्रों को सरकारें हर साल करीब साढ़े 14 करोड़ रुपये छात्रवृत्ति बांट रही थीं। लेकिन अब ये सिर्फ 2 करोड़ रुपये रह गई है। ये अकेले उत्तराखंड का मामला है। अब आप खुद ही समझ सकते हैं कि जब उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में मदरसों को अपना रजिस्ट्रेशन करवाने को कहा तो क्यों इतना हंगामा खड़ा कर दिया गया।
तो इसलिए असुरक्षित हैं मुसलमान?
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बीजेपी की सरकार आने के बाद से मुसलमान खुद को क्यों असुरक्षित महसूस कर रहे हैं इस बात से साबित हो गया है। क्योंकि 2014-15 तक 2 लाख 21 हजार 800 मुसलमान छात्र सरकारी स्कॉलरशिप पा रहे थे। आधार से लिंक होते ही इनकी संख्या गिरकर 26 हजार 440 हो गई है। यानी एक साथ करीब 88 फीसदी मुसलमान छात्रों की संख्या कम हो गई। ये वो स्कॉलरशिप है जो बीपीएल परिवारों के छात्रों को दी जाती है। जिन छात्रों के पास आधार नहीं हैं, उन्हें भी स्कॉलरशिप का फायदा मिल रहा है, लेकिन उन्हें इसके लिए जिलाधिकारी से सत्यापन करवाना जरूरी है। फिलहाल जिला प्रशासन को इस घोटाले के दोषियों की लिस्ट तैयार करने और उन पर कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं।
अल्पसंख्यक कोटे के नाम पर धांधली
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यह बात भी सामने आई है कि कई मदरसे और स्कूल सिर्फ कागजों पर चल रहे हैं और वो फर्जी छात्रों के नाम भेजकर आराम से सरकारी फंड हासिल कर रहे थे। उत्तराखंड के 13 जिलों में से 6 में तो एक भी मुसलमान छात्र स्कॉलरशिप लेने नहीं आया। सबसे ज्यादा धांधली हरिद्वार जिले में पकड़ी गई है। इसके बाद ऊधमसिंहनगर, देहरादून और नैनीताल जिलों के नंबर आते हैं। कुछ जिलों में अब तक जितने अल्पसंख्यक छात्रों को स्कॉलरशिप दी जा रही थी उतनी तो उनकी वहां आबादी भी नहीं है। अब तक कांग्रेस के दौर में तुष्टीकरण की राजनीति के तहत बिना जांच पड़ताल के ये काम चल रहा था। जाहिर है बीजेपी सरकार आने के बाद इस घोटाले पर नकेल कसनी शुरू कर दी गई।
यूपी में भी इसीलिए है सारी दिक्कत
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यूपी में भी इसी तरह की गड़बड़ियों को देखते हुए मदरसों का रजिस्ट्रेशन जरूरी कर दिया गया है। राज्य में कई मदरसे बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे हैं। और इन मदरसों को फंड कहां से मिल रहा है इसकी भी कोई जानकारी नहीं होती। इन मदरसों में क्या पढ़ाया जा रहा है, इस पर भी सरकार का कोई नियंत्रण नहीं होताष जबकि ये अपने छात्रों को अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं के तहत तमाम फायदे पहुंचाते रहते हैं। यूपी सरकार राज्य में करीब 800 मदरसों पर हर साल 400 करोड़ के करीब खर्च करती है। जब इन मदरसों का रजिस्ट्रेशन होगा तो सही तस्वीर सामने आ पाएगी कि कितना पैसा वाकई गरीब छात्रों के पास पहुंच रहा है और कितना उन लोगों की जेब में जा रहा है, जिन्हें लेकर हामिद अंसारी जैसे लोग परेशान रहते हैं।
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