यौन शोषक बाबा , कमजोर मुख्यमंत्री और लालची संपादक :-

आज सुबह दैनिक भास्कर के मुख्य पृष्ठ पर रामरहीम गुरमीत सिंह से जुड़ी खबर के साथ यह सम्पादकीय देखा तो मन मे कई प्रश्न खड़े हो गए । कल शाम से न्यूज चैनल्स से ले कर आज सुबह के समाचार पत्रों में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर को 'बलि का बकरा' बनाने का प्रयास हो रहा है , जो 'सेलेक्टिव' दोषारोपण का जीता जागता उदाहरण है ।

दैनिक भास्कर के संपादक कल्पेश जी की कलम का मुरीद हूँ । उनका प्रत्येक सम्पादकीय या आलेख, मुझे हमेशा नया द्रष्टिकोण प्रदान करते रहे है । लेकिन आज के संपादकीय में न जाने क्यों वे मुझे एकपक्षीय नजर आए । वे लिखते है "वोटों के लिए कोई सरकार यौन अपराधी से जुड़ सकती है ,विश्वास नही होता।"

मैं कहता हूं कि "पैसों के लिए लालची मालिक या संपादक भी यौन अपराधी से जुड़ सकता है , विश्वास नही होता।"

कल पंचकूला में हुई हिंसा के दौरान लफंगे रामरहीम के गुंडों ने न्यूजचैनलों के रिपोर्टरों एडिटरों को जमकर पीटा, उनके कैमरों, वाहनों, ओबी वैनों को तोड़कर आग के हवाले किया। इसका नतीजा वही निकला जो निकलना था। दिल्ली ,नोयडा ,मुम्बई के एयरकंडीशंड न्यूजचैनली स्टूडियो और समाचार पत्रों के कार्यालयों में मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर के इस्तीफे की मांग को लेकर कल शाम से ही तांडव प्रारम्भ हो गया । नैतिकता और सिद्धांतों की दुहाई देकर लफंगे रामरहीम के साथ नेताओं के सम्पर्कों के खिलाफ छाती कूटने वाले यह न्यूजचैनली और सम्पादकीय विलाप प्रलाप कितने ईमानदार, कितने सच्चे और कितने सैद्धान्तिक है यह भी जानना होगा , समझना होगा ।

ज्यादा दिन नहीं बीते हैं। केवल ढाई वर्ष पहले की ही बात है। इसी राम रहीम सिंह नाम के लफंगे की नितान्त फूहड़ और बेहूदा फ़िल्म का प्रमोशन हर न्यूज चैनल हर समाचार पत्र कर रहा था। उस दौरान इन न्यूजचैनलों के स्टूडियो में लफंगे रामरहीम सिंह का स्वागत/परिचय महानायकों की तरह किया/दिया जा रहा था। दैनिक भास्कर समेत हर प्रमुख समाचार पत्र में फुल पेज , जी हां फुल पेज , के विज्ञापन छापे गए । हर न्यूजचैनल और समाचार पत्र उसे रॉबिनहुड की तरह प्रस्तुत कर रहा था। यह ध्यान देने योग्य बात है कि जिस समय यह सब हो रहा था उस समय भी इस लफंगे राम रहीम के खिलाफ बलात्कार ,हत्या, हत्या के प्रयास सरीखे आपराधिक मुकदमे दर्ज थे। जिसमे एक मुकदमा तो समाचार पत्र के संपादक की हत्या तक का था।

मैं जानना चाहता हूं कि ऐसे अपराधी , हत्यारे लफंगे को क्यों और किस दबाव में देश के सामने महानायक की तरह पेश कर रहे थे न्यूजचैनल और समाचार पत्र ?

उसकी चापलूसी की चाशनी में डूबे आधे से एक घण्टे लम्बे इंटरव्यू लगातार कई दिनों तक लगातार बार बार क्यों दिखा रहे थे न्यूजचैनल ? समाचार पत्रों के मुख्य पृष्ठों पर उसके स्वच्छता अभियान की 6 कॉलम की न्यूज कैसे लग जाती थी ? समाचार पत्रों के ग्लैमर और फिल्मी पृष्ठों पर क्वाटर पेज की 'हीरोइक' फोटो में ये लफंगा बाबा कैसे नजर आ जाता था ?

 न्यूजचैनल और समाचार पत्र क्या यह सब निशुल्क कर रहे थे? नहीं। सब जानते है कि लफ़ंगा राम रहीम इसके लिए उन्हें मोटी रकम दे रहा था। जिसके चलते सारी नैतिकता और सिद्धांतों को फूँक-ताप कर उस लफंगे राम रहीम के खिलाफ दर्ज़ हत्या, हत्या का प्रयास, बलात्कार सरीखे जघन्य आरोपों को अनदेखा कर प्रचण्ड बेशर्मी के साथ उसके महिमामंडन , गुणगान का धंधा करने में जुट गए थे यही सब न्यूजचैनल और समाचार पत्र ।

राम रहीम अकेला अपवाद या उदाहरण नहीं है। जिस निर्मल बाबा के खिलाफ 4 वर्ष पूर्व 2-3 महीनों तक न्यूज चैनलों पर जमकर आग उगली गयी थी वही निर्मल बाबा आजकल कई न्यूज चैनलों पर रोजाना आधे से एक घण्टे तक का अपना वही धन्धा धूमधाम से करता है, जिस धन्धे के खिलाफ ये न्यूजचैनल उन दिनों आग उगला करते थे।

अतः पैसों के लिए इन लफंगों के हाथों बिकनेवाले न्यूज चैनलों  और समाचार पत्रों को क्या यह नैतिक अधिकार है कि वो वोटों ले लिए इन लफंगों के आगे झुकनेवाले नेताओं पर उँगली उठाएं ?

इसीलिए मैंने अपनी पोस्ट की हैडिंग में लालची शब्द का उपयोग किया है । मेरा कहना है कि देश की व्यवस्था ही ऐसी बन गयी है कि वोटों के लिए नेता और रुपयों के लिए सम्पादकों का बिकना मजबूरी बन गया है । इसमें जिम्मेदार हम सब है । केवल खट्टर को जिम्मेवार ठहरा हम अपने आपको पाक साफ नही ठहरा सकते है । इसमें सब बराबर के भागीदार है । रामरहीम भी , खट्टर भी , याग्निक जी भी और हम सब भी , जिसमे मैं भी शामिल हूँ । पहले स्वयं को नैतिकता के मानदंड पर कसें , फिर किसी पर दोषारोपण करें ।


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