सच्चा आईना कांग्रेस को भाये ना।

राहुल गांधी आप मौनी बाबा नहीं हैं! खूब बोलते हैं.पर आपकी दिक्कत दो स्तरों पर है- आप अपना कुछ नहीं बोलते, दूसरों के कहे पर प्रतिक्रिया करते हैं. जब अाप प्रतिक्रिया में बोलते हैं, तो हमेशा एजेंडा दूसरे का तय किया होता है. ऐसे में जरूरत होती है हम जैसे मार्गदर्शको को नहले पर दहला मारने की, तो चले भारतीय इतिहास का दर्शन करने।

क्या आप जानते हैं पिछले 100 वर्षों में भारत के कितनी बार टुकडे किये गए और उसके पीछे किसकी सरकार और सोच रही है ......

सन 1911 में भारत से श्री लंका अलग हुआ ,जिसको तत्कालीन कांग्रेसी नेताओं का समर्थन प्राप्त था

सन 1947 में भारत से बर्मा -म्यांमार अलग हुआ ,

सन 1947 में भारत से पाकिस्तान अलग हुआ । कारण कांग्रेस ही थी

सन 1948 में भारत से आज़ाद कश्मीर काटकर अलग कर दिया गया और नेहरु जी की नीतियों ने सरदार पटेल के हाथ बांधे रखे

सन 1950 में भारत से तिब्बत को काटकर अलग कर दिया गया और नेताओं ने मुह बंद रखा

सन 1954 में बेरुबादी को काट कर अलग कर दिया गया

सन 1957 में चीन ने भारत के कुछ हिस्से हड़प लिए और नेहरु ने कहा की यह घास फूंस वाली जगह थी

सन 19262 में चीन ने अक्साई चीन का 62000 वर्ग मिल क्षेत्र भारत से छीन लिया ,और नेहरु जी हिंदी चीनी भाई-भाई कहते रहे । जब हमारी सेनाओं ने चीन से लड़ाई लड़ने का निर्णय किया और कुछ मोर्चों पर जीत की स्थिति में थी तो इन्ही नेहरु ने सीज फायर करा दिया

सन 1963 में टेबल आइलैंड पर बर्मा ने कब्ज़ा कर लिया ,और हम खामोश रहे । वहां पर म्यामांर ने हवाई अड्डा बना रखा है

सन 1963 में ही गुजरात का कच्छ क्षेत्र छारी फुलाई को पाकिस्तान को दे दिया गया

सन 1972 में भारत ने कच्छ तिम्बु द्वीप सर लंका को दे दिया

सन 1982 में भारत के अरुणांचल के कुछ हिस्से पर चीन ने कब्ज़ा कर लिया , और हम बात करते रहे

सन 1992 में भारत का तीन बीघा जमीनी इलाका बांगला देश ने लेकर चीन को सौंप दिया ।

सान 2012 मे भी बांग्लादेश को कुछ वर्गमील इलाका कॉंग्रेस ने दिया और कहा की ये दलदली इलाका था

इसके अलावा भी अनेक छोटी बड़ी घटनाएं होती रहती हैं जिनका रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है , जैसे कि हाल ही 2011की चीन की घटना है , जिस पर कोई अधिकारिक दस्तावेज अभी जारी नहीं किया गया है।

वैसे एक बात और ध्यान रहे की जब भी आप भारत या भारतीयता के बारे में बोलो विषय का सटीक विश्लेषण कर के बोलो।

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